दूसरा बनवास

मेरे प्यारे परिंदे
बस दो दिनों की प्रतीक्षा करे
ये जो धमाकों और धुंओं
का कारवां फैला है
वो ढल जायेगा
और हवा में जो बारूद भर गया है
वो कुछ दिनों में निकल जायेगा

मेरे प्यारे परिंदे
हम दीप का उत्सव
दिवाली मना रहे है
इस प्रकृति को बस अपना समझ कर
पटाखों में जला रहे है

मेरे प्यारे परिंदे
हम मानव बदलेंगे
ऐसी रखिये झूठी आस
और एक दिन फिर से शहर छोड़
राम जी लेंगे दूसरा बनवास